ता.15-1-08 को रास्ते में पतंग की डोरी गले से बचाने के चक्कर में गला तो बच गया हाथों से बाइक छूट गयी और हमारी बांयी टांग टूट गयी.हमारे गुजरात में उत्तरायण के पर्व में पतंगों से एक तरफ लोग आनंद लूटते हैं तो दूसरी तरफ हमारे जैसे कई लोग एवं पंछी अपाहिज तथा शहीद होजाते हैं. हमारी टूटी टांग की उपरोक्त तस्वीर की यही कैफ़ियत हैं.
ग़ज़ल
टांग तुड़ाकर घर बैठा हूँ.
ये मत पूछो की कैसा हूँ .
बिस्तर से बस बाथरूम तक,
इसी सफ़र में अब उलझा हूँ.
हाथ पांव की मदद करें हैं,
वॉकर लेकर अब चलता हूँ.
सब कहते कर्मों का फल है,
जो भी हो सब भोग रहा हूँ.
दीवारें ये मुझसे पूछें.
चुपके,चुपके क्यों रोता हूँ.
कंकड़,पत्थर,बालू मझमें,
बरसों से सूखा दरिया हूँ.
ख़्वाबों में ही आजा ज़ालिम,
शाम ढले रस्ता तकता हूँ.
डॉ.सुभाष भदौरिया ता.27-01-08 समय-06-15PM
ग़ज़ल
टांग तुड़ाकर घर बैठा हूँ.
ये मत पूछो की कैसा हूँ .
बिस्तर से बस बाथरूम तक,
इसी सफ़र में अब उलझा हूँ.
हाथ पांव की मदद करें हैं,
वॉकर लेकर अब चलता हूँ.
सब कहते कर्मों का फल है,
जो भी हो सब भोग रहा हूँ.
दीवारें ये मुझसे पूछें.
चुपके,चुपके क्यों रोता हूँ.
कंकड़,पत्थर,बालू मझमें,
बरसों से सूखा दरिया हूँ.
ख़्वाबों में ही आजा ज़ालिम,
शाम ढले रस्ता तकता हूँ.
डॉ.सुभाष भदौरिया ता.27-01-08 समय-06-15PM
बढ़िया है मालिक ! शीघ्र स्वास्थ्यलाभ करें, इस कामना के साथ ....
जवाब देंहटाएंआपके जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूँ.
जवाब देंहटाएंदरिया ख़ुद भूल गया है,
जवाब देंहटाएंकी पानी कहाँ समाया है .
खोजने की देर है बस ...
गज़लें कोई यूँ ही नहीं लिखता,
सतह के कुछ नीचे ही बस,
सागर पूरा समाया है.
आराम करने वालों में से आप हैं नहीं, फिर भी हो सके तो कुछ दिन जरूर आराम करियेगा.
आपके जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूँ.
आदरणीय मीतजी,संजयजी,दुर्गाजी आपने गरीबखाने की रौनक बढ़ाई हैं जर्रा नवाजी और हौसला अफ़जाई के लिए आप सबका आभारी हूँ.
जवाब देंहटाएं1-संजयजी कोई गुजरात को कोसता है उस मुकाम पर
आपके ख़यालातों से हमारे ख़यालात बहुत मिलते हैं.
आपने पतंग उत्सव और उसके बाद होने वाले नुकशानों पर रोशनी डाली थी मैं गाफिल नहीं था.
2खैर अब ग़जलें अब ज्यादा लिखी जायेंगी टांग के साथ आप लोग उनका भी हाल पूछें तो और भी खुशी होगी.पाठक ही रचनाकार को संवारते हैं वही उन्हें आकार देते हैं इस हकीकत से मैं वाकिफ़ हूँ.