प्रिंसीपल डॉ.सुभाष भदौरिया गवर्मेंट आर्टस कोलेज शहेरा गुजरात. ग़ज़ल |
सारे रिश्तों को
तोड़ना होगा.
अब तो गुजरात छोड़ना
होगा.
काट देते हैं पर
परिन्दों के,
पंख अपने सिकोड़ना
होगा.
लोग मुर्दों में ढल
गये सारे,
अब तो उनको
झिझोंड़ना होगा.
रोज़ फोड़े है सर
हमारा जो,
सर को उसके भी
फोड़ना होगा.
जो बढेगा हमारे दामन
तक,
हाथ अब वो मरोड़ना
होगा.
फूल सहरा में महक उटठेंगे,
खून दिल का निचोड़ना
होगा.
अपने जन्म दिन पर अपने
चाहनेवालों के नाम ये ग़ज़ल है. दोस्तों की जन्म दिन की बधाइयां फेश बुक पर रात्रि 12 के बाद से ही
मिलनी शुरू हो गयी थीं. मोबाइल इसकी निरंतर सूचना देता रहा. हमें भी लगा हमारा
जीना ज़रूरी है. परिवार तो गुजरात आला कमान की महरबानियों के कारण साथ नहीं है.
दिन की शुरूआत चाय की की दुकान से हुई फिर कोलेज परिवार ने बधाई दी.
कोलेज में सेमेस्टर पध्धति के कारण वर्ष भर
परीक्षा ही होती है पढ़ाई कम. स्टाफ 16 में से मात्र 7 का है. सभी करार आधारित है
मात्र प्रिंसीपल रेग्युलर के रूप में हम हैं.
हिन्दी, मनोविज्ञान, इतिहास में गुजरात राज्य
सेवा आयोग ने सिलेक्शन कर के उच्च शिक्षा विभाग सूची भेज दी है. सब उम्मीदवार रो
रहे हैं दो महीने से आर्डर नहीं मिल रहे कई अपनी करार आधारित नौकरी से स्तीफा दे
घर बैठे हैं कि अब आर्डर मिले पर कहां सब
कहते हैं एक्स जोयन डायरेक्टर भदौरिया साहब होते तो कब के पोस्टिंग आर्डर मिल
जाते. पर उनका तो मात्र 6 महीने में
एनकाउन्टर हो गया.01-01-2013 को नियुक्ति 02-07-2013 को मुक्ति.
हाल की इंचार्ज जोयन डायरेक्टर साहिबा इंगलेन्ड अपनी
टीम के साथ मिशन पर है.
सब अंग्रेजों को
सिखाने गये हैं कि गुजरात में 72 सरकारी कोलेजों में अध्यापकों की 400 जगह खाली,
किसी भी कोलेज में लायब्रेरियन नहीं, स्पोर्टस टीचर नहीं, रेग्युलर प्रिंसीपल नहीं
फिर गुजरात में वायसेग के द्वारा आनलाइन
कैसे पढाया जा सकता है. सब सिखाने गये हैं.
हमने वायसेग के
कर्ता धर्ता समाहर्ता से मीटिंग में कहा था वायसेग से पेपर कैसे जाचें जायेंगे. प्रश्न
पत्र कैसे निकलेंगे, आंतिरक परीक्षा का परिणाम कैसे बनेगा.पर कोई सुनता कहां है.
पूरे देश के सभी राज्यों में गुजरात उच्चशिक्षा विभाग के
चमन्कारों को दिखाने,सिखाने का भी आयोजन किया गया है. खास दश्ते अपने मिशन पर हैं.
दूसरी तरफ गुजरात
में सरकारी कोलेजों के छात्र छात्रायें कोलेज में विषय के टीचर न होने पर इस बार शांत रहने वाले नहीं उनका काफी नुकशान हो
चुका है. वे कोलेज की ईंट से ईंट बजाने वाले हैं. पिछले सत्र में कई सरकारी
कोलेजों में हड़तालें हुईं थी. इस बार मामला संभालने में मुश्किल होगी.
राज्य के मुख्य
मंत्रीजी को प्रधानमंत्री बनने की ऐसी ज़ल्दी है कि उन्हें राज्य के उच्च शिक्षा
विभाग में एक उच्च शिक्षा कमिश्नर भी नियुक्त करने की भी फुरसद नहीं है. अध्यापकों
की तो बात ही जाने दो .
इन दिन रातों को
नींद नहीं आती. हमारी सरकारी आर्टस कोलेज
शहरा में 1300 छात्र छात्रायें हैं स्टाफ 16 की जगह मात्र 7 अध्यापक हैं.
अध्यापकों के बिना कैसे गुज़ारा होगा.
राज्य सेवा आयोग से
सिलेक्ट अध्यापकों के नियुक्ति आदेश भी दो महीने से लटका कर रखे गये हैं हिन्दी वाले
फूट फूट कर रो रहे थे. उन्होंने पुरानी करार आधारित नौकरी से स्तीफा दे दिया घर
बैठे क्या करें.
दूसरी तरफ राज्य में
सभी विभागों में छठे वेतन आयोग का बकाया दिया जा चुका है. सिर्फ कोलेज के मास्टर
मास्टरनी बाकी हैं.
मेरा दोस्त बताता है
हमारी शिक्षक बिरादरी बकरी की तरह है कोई
भी टांग पकड़कर दुह लेता है, सवारी कर लेता है सब मिमिया के रह जाते है. शिक्षक
साधारण नहीं होता उसकी गोद में प्रलय और निर्माण पलते हैं. सब बातें झूटी हैं.
गुजरात हमारी जन्म
भूमि है सो लगाव स्वाभाविक है पर चल उड़ जा रे पंछी कि ये देश हुआ बेगाना. यहां
कौवे, सियार, लोमड़ी, कुत्ते, बिल्ली, को को तो मज़े है सब स्वर्णिम स्वर्णिम जो
गा रहे हैं. मरना हम जैसे लोगों का है. तो दूसरी तरफ बेदर्दी बालमा सुनते नहीं.
जय
जय दरवी गुजरात. प्रिंसीपल डॉ. सुभाष भदौरिया
AAPNE SAHI KAHA SIR.........
जवाब देंहटाएंI M RAKESH YOUR EX STUDENT.......
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