ग़ज़ल
तेज आँधी चलेगी क्या
गुजरात में ?
अब के झाड़ू लगेगी क्या गुजरात में ?
पाँव जिनके ज़मी पर
नहीं आजकल,
नींद उनकी उड़ेगी
क्या गुजरात में ?
रौशनी का भरम है समझ
लीजिए,
सच को जनता कहेगी
क्या गुजरात में ?
दर्द की इंतिहां सब
की अब हो गयी,
ज़ुल्म उनका सहेगी
क्या गुजरात में ?
कह रही है समन्दर की
ख़ामोशी ये,
अब सुनामी बहेगी
क्या गुजरात में ?
सच को कहने की आदत
है हमको बहुत,
झोपड़ी अब जलेगी क्या
गुजरात में ?
.डॉ. सुभाष भदौरिया
गुजरात ता.17-01-2014
वाह ! बहुत ही बेहतरीन गजल ...! बधाई सुभाष जी,,,,,
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