पत्थर जो उछाले थे सबने, घर उससे बनाया है हमने.
कांटे जो बिछाये राहों में, घर उससे सजाया है हमने.
फौलादी जिसे तुम समझे हो, मग़रूर जिसे तुम माने हो,
आये जो कभी आँसू अपने, हँसकर के छिपाया है हमने.
तीरों से बदन छलनी है मगर, वे अपने शिकस्ता तीर गिने,
हर वार पे दुश्मन के आगे कदमों को बढाया है हमने.
वो जंग हो चाहे गलियों में, वो जंग हो चाहे सरहद पे,
इंसा का लहू इंसा का ही है, ये राज़ भी पाया है हमने.
लपटों औ धुओं की बातें कर, इल्ज़ाम लगाते हो हर दम,
कुंदन की तरह अग्नि में बहुत, खुद को भी तपाया है हमने.
तुम जात धर्म की बातें कर, उलझाओगे कब तक सबको,
मिल जुल के बढेंगे सब आगे, रस्ता भी दिखाया है हमने.
आज देश के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द मोदी जी के 70 वां जन्म दिन है. ये ग़ज़ल उनकी उम्दा शख्शियत के नाम है. मैं
उनकी रूह तक शब्दों के माध्यम से पहुँचा हूँ ये वे ही बता सकते हैं. वे गुजरात से
क्या गये कि गुजरात की रौनक चली गयी. या यों कहें कि फिर उसके बाद चिरागों में
रौशनी ना रही. गुजरात में उनका वांचे गुजरात कार्यक्रम बहुत ही लोकप्रिय हुआ था.
किसी भी कार्यक्रम में मेहमान का स्वागत पुस्तक से करना उन्होंने सिखाया था. वे
बताया करते थे कि किसी व्यक्ति के साथ रिश्ते की बुनियाद पुस्तकें होनी चाहिए.वे
कहते थे गुजरातियो पढ़ो तुम्हें मेरी निंदा भी पढ़नी है तो छूट पर पढ़ो ज़रूर.
मुश्किल को अवसर बनाने की कला में उन्हें महारथ हासिल है मोदी है तो मुमकिन है का
नारा भी उन्हीं का है वे कठिन से कठिन निर्णय लेने में हिचकिचाते नहीं. जहां तक
मेरी समझ है वे शांति के पक्षधर है इसी लिए पाकिस्तान जा कर उन्होंने सबको चौंका
दिया था. चीन के राष्ट्रपति को भी अहमदाबाद झूले पे झुलाने से गुरेज़ नहीं किया.
पर आज वही चीन सीमा पर नो लेन्ड मेन (जहां एक दूसरे की पेट्रोल जाती है) घुस कर आँखें तरेर रहा है . हालांकि हमने भी
जैसे के साथ तैसा कर के कुछ चोटियों पर बढ़त ले ली है. चीन को ये बहुत ही अखर रहा
है. मोदी जी को जो जानते हैं उन्हें पता है वे दोस्ती दुश्मनी बखूबी निभाना जानते
हैं. चीन की किसी भी गुस्ताख़ी का जबाब देने के लिए वे मौके की तलाश में हैं दोनों
सीमाओं पर वे निर्णायक करेंगे. उनकी डिफेंस टीम बहुत ही असर दार है.
एक उनका आध्यात्मिक पक्ष बहुत ही मजबूत है. मोदीजी नवरात्रि व्रत बिना चूक रहते हैं खानपान पर बहुत
ही नियंत्रण है. योग से भी खुद को जोड़े
हुए हैं तभी इतनी उर्जा से भरे रहते हैं. किसी एंकर ने उनसे जब उनके स्वास्थ्य राज पूछा कि आप क्या खाते हैं तो
उन्होंने हँसकर बताया था कि हजारों किलो
गाँलियां जो मैं
रोज़ खाता हूँ वो कोई दूसरा नहीं खाता होगा.अच्छे वक्ता के साथ व्यंगकार भी
हैं. वे भावुक भी है उनके रुँधे गले को भी लोगों ने देखा है.
गुजरात से उनके जाने का बाद जो शून्यावकाश है वो कैसे भरे गतिमान
गुजरात का आज हाल किसी से छिपा नहीं लोग परिवर्तन की आहट सुन रहे हैं. आज उनके
जन्म दिन पर मैं उनके स्वस्थ,दीर्घायु,
त्वरित निर्णयवान यशस्वी ,कठोर शासक बने रहने की देवीमां से प्रार्थना करता हूँ
મને સદભાગ્ય કે શબ્દો મળ્યા તારે નગર જાવા,
ચરણ લઈ દોડવા બેસું તો વરસોના વરસ લાગે ( મનોજ ખંડેરિયા)
धानपुर से दिल्ली बहुत दूर है.
प्रिंसीपल डॉ. सुभाष भदौरिया सरकारी आर्टस कोलेज धानपुर जिला दाहौद
गुजरात ता.17-09-2020.
Prin.dhanpurarts@gmail.com
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