गुरुवार, 10 नवंबर 2022

 

ग़ज़ल

पुल पे जाने से अब लोग डरने लगे.

मोरबी की व्यथा याद करने लगे.


ट्रेन भैसों से ज़ख्मी हुईं आजकल,

रंग वफ़ा के यहां भी उतरने लगे.


उनकी सौगात की आँधियां यूं चली,

सूखे पत्तों से हम तो बिखरने लगे.


जिनकी परवाज़ थी आसमानों तलक,

बैठ कर पर वे उनके कतरने लगे.


 इतना मत प्यार कर हम को ओ बेवफ़ा,

हम मुहब्बत में अब तेरी मरने लगे.

 

डॉ. सुभाष भदौरिया गुजरात. ता. 10/11/20222

 

 

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