बुधवार, 25 सितंबर 2024

दूर ले जाये हमको बहा के कहीं

 

ग़ज़ल

हमने चाहा जिसे वो खुशी ना मिली.

दुश्मनी तो मिली दोस्ती ना मिली..

 

यूँ अँधरे मिला बेतहाशा हमें.

पर लिपट कर कभी रोशनी ना मिली..

 

कोई आँसू बहाये हमारे लिए.

आँख  में वो किसी के नमी ना मिली.

 

बे वजह यूँ ही उड़ते रहे उम्र भर.

आसमां तो मिला पर जमीं ना मिली.

 

दूर ले जाये हमको बहा के कहीं,

तेज रफ़्तार की वो नदी ना मिली..

 

डॉ.सुभाष भदौरिया अहमदाबाद गुजरात. ता.25/09/2024

 

 

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