मंगलवार, 12 नवंबर 2024

जानेमन यूँ न दिल को दुखाया करो.


 ग़ज़ल

जानेमन यूँ न दिल को दुखाया करो.

ख़्वाब में ही सही आप आया करो.


पास बैठो ज़रा तुम घड़ी ,दो घड़ी,

ज़ल्दी ज़ल्दी ना इतनी मचाया करो.


जो भी कहना हमें सीधा सीधा कहो.

बीच में दूसरों को न लाया करो.


आँख दिख लाये हो तुम वज़ह बेवज़ह.

भूल कर तो कभी मुस्कराया करो.


रूठ लो,रूठलो  हक़ दिया ये तुम्हें.

जब मनायें तो फिर मान जाया करो.


इश्क़ हो जायेगा रफ़्ता रफ़्ता तुम्हें.

मेरी ग़ज़लों को भी गुनगुनाया करो.


डॉ. सुभाष भदौरिया अहमदाबाद गुजरात ता. 12/11/2024



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