शुक्रवार, 15 नवंबर 2024

ख़त में उसने मुझे बेवफ़ा लिख दिया

                                                                       
ग़ज़ल
सोचे समझे बिना मुझको क्या लिख दिया.
 ख़त में  उसने मुझे बेवफ़ा लिख दिया.

ना बहस , ना गवाह, ना सुबूत ही कोई,
मेरे मुंसिफ ने क्या फ़ैसला लिख दिया.

ढूँढ़ लो दूसरी अपने जैसी कोई,
कितना दिलचश्प ये मशवरा  लिख दिया.

उसकी गुस्ताख़ियों को लगाया गले.
ज़हर का नाम हमने दवा लिख दिया.

दिल के हाथों से हम कितने मज़्बूर थे.
दिल के दुशमन को ही दिलरूबा लिख दिया.

मुझको पढ़ते अगर तो कोई बात थी.
 बिन पढ़े ही मिरा तब्सिरा  लिख दिया.

डॉ. सुभाष भदौरिया. अहमदाबाद गुजरात ता. 15/11/2024



 


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