गुरुवार, 26 दिसंबर 2024

चेहरे की चमक होटों की मुस्कान ले गया.

 

ग़ज़ल

चेहरे की चमक होटों की मुस्कान ले गया.

जीने के मेरे सारे वो अरमान ले गया.


सिगरिट, शराब, अश्क, तन्हाई व बेकली,

किन रास्तों पे मेरा महरबान ले गया.


अब मेज़बां के पास तो कुछ भी बचा नहीं,

दिल की तमाम हसरतें मेहमान ले गया.


अब लोग पूछते है बताओ तो कौन था ?

जो जिस्म छोड़कर के मेरी जान ले गया.


क्या क्या हुए हैं हादसे हमसे न पूछिये.

घर को ही लूट घर का ही दरबान ले गया.


उसने तो साथ छोड़ दिया बीच धार में,

साहिल तलक मुझे मेरा तूफ़ान ले गया.


डॉ. सुभाष भदौरिया, अहमदाबाद ता.26/12/2024

 

 

 

 

 

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